दिल्ली में चल रहे हैं अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला आम जनों के लिए खुलते ही ' बिहार पवेलियन ' में लगे हैंडीक्राफ्ट एवं हैंडलूम स्टॉल पर उमड़ी भीड़
दिल्ली में चल रहे हैं अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला आम जनों के लिए खुलते ही ' बिहार पवेलियन ' में लगे हैंडीक्राफ्ट एवं हैंडलूम स्टॉल पर उमड़ी भीड़
# मिट्टी ने लिया आकर तो खड़ा हो गई ' माटी एन आकार स्टार्टअप '
# सरकार ने जताया भरोसा, दी आर्थिक सहायता
# घर के बाहर लगने वाले नेम प्लेट को कलाकार ने टेराकोटा पर किया है डिजाइन
# कोरोना काल में शुरू हुआ स्टार्टअप
नई दिल्ली, 19th Nov :
मिट्टी सिर्फ अनाज ही नही उपजाया जा सकता है। इससे बहुत कुछ ऐसा बनाया जा सकता है जो नायाब होने के साथ साथ भारी आर्थिक लाभ भी पहुंचा सकता है। लेकिन इसके लिए आपका क्रिएटिव होना जरूरी है। इस क्रिएटिविटी का अंदाज़ा प्रगति मैदान में चल रहे ट्रेड फेयर के बिहार पवेलियन में देखने को मिल रहा है जहां एक युवा महिला नीतू सिन्हा ने अपनी क्रिएटिविटी से मिट्टी को ऐसा आकर दिया है कि वह न केवल लोगों को आकर्षित कर रहा है बल्कि बिहार सरकार को भी इतना पसंद आया कि उसके प्रोजेक्ट को दुनिया के सामने लाने के लिए आर्थिक सहायता दी जिससे महिला कलाकार नीतू सिन्हा ने अपना एक स्टार्टअप ही शुरू कर दिया।
' माटी एन आकर' के तहत बने मिट्टी यानी टेराकोटा के सजावटी सामानों की जमकर न केवल तारीफ हो रही है बल्कि लोग जमकर खरीदारी भी कर रहे हैं। अपने परिवार के साथ व्यापार मेला घूमने आई डीआरडीओ की सीनियर साइंटिस्ट डॉ . नीति शर्मा को भी नीतू सिंह का टेराकोटा की कलाकृतियां बेहद भा गई यहां वॉल हैंगिंग की खरीदारी करने के बाद डॉ . नीति शर्मा ने बताई की इनकी टेराकोटा की डिजाइन मुझे बेहद पसंद आई खासकर मैं यह देख कर आश्चर्यचकित हूं की मिट्टी की कलाकृतियां भी नॉन ब्रेकेबल हो सकती है .
नीतू बताती है कि किस तरह से कोरोना की वजह से हर एक आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हुआ है लेकिन इसी बीच उन्हें अपना स्टार्टअप शुरू करने का मौका भी मिला और आज उनके काम को सराहा जा रहा है। फाइन आर्ट शिल्प में ग्रेजुएशन नीतू ने अपने स्टार्टअप के लिए मिट्टी यानी टेराकोटा कला को चुना और इसे आकर दे कर टेराकोटा की दीवारों पर सजाई जाने वाली मूर्तियां बनाई है। जिनमे महात्मा बुद्ध की एक मूर्ति भी शामिल हैं जिसमे वह एक पेड़ के नीचे बैठे हुए हैं और उनके साथ अन्य अनुयायी भी बैठे हुए हैं और वहां का राज उनके लिए खाना लेकर आया हुआ है। नीतू बताती है कि इसकी डिमांड सबसे ज्यादा है इसे घर के बाहर और घर के अंदर दोनों जगह पर लगाया जा सकता है। 51 हज़ार मूल्य की यह मूर्ति इतनी मजबूत है कि जबतक इसे जबरदस्ती न तोड़ा जाय तब तक न तो टूटेगा और न ही बारिश, आग से खराब ही होगा। उन्होंने बताया कि घरों के बाहर लोग नेम प्लेट लगाते हैं। इसे भी उन्होंने टेराकोटा में बनाया है जिसकी इस फेयर में सबसे ज्यादा मांग है।
उन्होंने कहा कि इस मेले में जिस तरह से लोगों ने मेरे का सराहना की है उससे मेरा हौसला बढ़ा है और अब लगता है कि मेरा स्टार्टअप दौड़ने लगा है।
एक अन्य आगंतुक मनोज कुमार शर्मा ने भी व्यक्त किया, "यह यहां के व्यापार में बिहार की कला और शिल्प का शानदार प्रदर्शन है। हम जैसे प्रवासी हमेशा बिहार के मंडप में जाने और कारीगरों से हस्तनिर्मित स्थानीय सामान खरीदने के लिए उत्साहित रहते हैं।
शिक्षाविद् श्री शर्मा ने आगे कहा, "पद्म पुरस्कार विजेता और मिथिला कला की आइकन दुलारी देवी से मिलना और कैनवास पर उनका लाइव डेमो देखना मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। मैं चाहता हूं कि बिहार व्यापार मेले में कला और शिल्प के अपने सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए फिर से स्वर्ण पदक जीते।"
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