देखिये जम्मू के कोनसे एक कारोबारी के दिल में लगाया गया दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर इस पूरी रिपोर्ट में
देखिये जम्मू के कोनसे एक कारोबारी के दिल में लगाया गया दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर इस पूरी रिपोर्ट में
• कैप्सूल के आकार का यह पेसमेकर, सामान्य तौर पर इस्तेमाल होने वाले पेसमेकर की तुलना में 93% छोटा होता है और इसमें बेहद कम चीर-फाड़ की जरूरत होती है।*
• अनुमानित तौर पर, भारत में हर साल पेसमेकर सर्जरी कराने वाले 50,000 (लगभग) लोगों के एक बड़े वर्ग को इससे फायदा मिल सकता है।**
28 जुलाई, 2021, दिल्ली: दिल की धड़कन संबंधी समस्याओं से पीड़ित 52 साल के एक कारोबारी, श्री सुभाष चंद्र शर्मा के इलाज के लिए दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर इम्प्लांट किया गया, और वे इसकी मदद से पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। डॉ. बलबीर सिंह, चेयरमैन-कार्डियाक साइंसेज, मैक्स हॉस्पिटल्स, साकेत, नई दिल्ली ने अपने डॉक्टरों की टीम के साथ इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया।
इससे पहले, जम्मू के रहने वाले श्री सुभाष ने अपने बच्चों के साथ खेलते समय अपनी दिल की धड़कनों में अचानक वृद्धि का अनुभव किया था, जिसके बाद उन्हें ऐसा लगा मानो उनकी आँखों के सामने अँधेरा छा गया हो। हालात की गंभीरता को भांपते हुए उन्होंने स्थानीय डॉक्टर से सलाह ली, और फिर डॉ. बलबीर सिंह से संपर्क किया।
डॉ. बलबीर सिंह ने उन्हें कुछ जांच कराने की सलाह दी, जिसमें होल्टर मॉनिटरिंग भी शामिल थी, और उससे पता चला की उनके हृदय की धडकने धीमी और अनियमित थीं। इस स्थिति को ब्रैडिकार्डिया कहा जाता है, जिसमें इंसान का दिल सामान्य से धीमी गति से धड़कता है। पेसमेकर की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है, जो धड़कनों को सामान्य स्थिति में लाने के लिए दिल को इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजता है। डॉ. बलबीर सिंह ने कहा, "मरीज की स्थिति और जांच के नतीजों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, हम समझ गए कि हालात को गंभीर होने से बचाने के लिए पेसमेकर सर्जरी की जरूरत थी। फिर मैंने श्री शर्मा को किसी भी तरह के जोखिम को कम करने के लिए पेसमेकर का सुझाव दिया, क्योंकि उनका ब्लड शुगर और ब्लड-प्रेशर लेवल काफी बढ़ गया था।”
शुरुआत में मरीज, श्री शर्मा काफी चिंतित थे। इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "इलाज के लिए की जाने वाली सर्जरी और इम्प्लांट से जुड़े प्रतिबंधों को लेकर मैं बेहद चिंतित था। लेकिन पेसमेकर थेरेपी के फायदों और बेहद कम चीर-फाड़ की जरूरत के बारे में सुनकर मुझे काफी आत्मविश्वास महसूस हुआ।"
डॉ. सिंह ने आगे बताया, "मेरे कुछ मरीजों को पारंपरिक पेसमेकर से थोड़ी असुविधा महसूस हुई, जिसे मरीज के सीने में त्वचा के नीचे लगाया जाता है। कभी-कभी, इससे इन्फेक्शन होने की संभावना भी उत्पन्न हो सकती है। लेकिन नए लेडलेस पेसमेकर की वजह से इन्फेक्शन की जोखिम काफी हद तक कम हो गया है, जिसमें दर्द, सूजन, लालिमा सहित त्वचा में जलन जैसी परेशानी शामिल है। चूंकि इस अत्याधुनिक पेसमेकर को पैर की नस के जरिए दिल के अंदर रखा जाता है, इसलिए मरीज के सीने में चीरा नहीं लगाया जाता है। इस तरह, त्वचा के नीचे कोई निशान या गांठ नहीं बनता है।"
अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद श्री शर्मा ने कहा, "अस्पताल में भर्ती होने से पहले, मेरे साथ एक-दो बार ऐसा हो चुका था जब मेरी आँखों के सामने पूरी तरह से अँधेरा छा गया था। मुझे साँस लेने में तकलीफ का भी अनुभव हुआ, इसलिए मैं डॉक्टर की सलाह के अनुसार अपना इलाज कराना चाहता था। इस प्रक्रिया को बड़े सहज तरीके से पूरा किया गया और इस दौरान मैं पूरी तरह जाग रहा था। अब एक महीने से अधिक वक्त बीत चुका है, और मैं खान-पान या व्यायाम पर किसी भी तरह के प्रतिबंध के बिना अपनी दिनचर्या में वापस आ गया हूं। मैं एक बार फिर अपने परिवार के साथ ज़िंदगी का आनंद ले रहा हूं।"
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