*धार्मिक पार्टी मामले में दिल्ली सरकार की दलील हास्यास्पद : जीके*
*दिल्ली कमेटी चुनाव से पहले केजरीवाल के अकाली दल प्रति नरम रुख पर जागो ने उठाए सवाल*
नई दिल्ली (13 मार्च 2021)ः दिल्ली सरकार के गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल किए गए लिखित जवाब पर विवाद हो गया है। जागो पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस मामले में साथ घसीट लिया है। जीके ने कहा कि 2010 में दिल्ली कमेटी चुनाव के नियम 14 में दिल्ली सरकार द्वारा संशोधन किया गया था कि सिर्फ सोसाइटी एक्ट में पंजीकृत धार्मिक पार्टी हीं दिल्ली कमेटी का चुनाव लड़ सकती है। परन्तु 2010 से पहले की पंजीकृत सभी राजनीतिक पार्टीयां भी चुनाव लड़ती आ रही है। जिसको लेकर आम अकाली दल के गुरविन्दर सिंह सैनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में इन पार्टीयों को चुनाव निशान देने वाले 1999 के अध्यादेश को रद्द करने की मांग की थी। 19 मार्च को इस मामले में अंतिम सुनवाई है।
जीके ने बताया कि दिल्ली सरकार ने इस मामले में दाखिल जवाब में दलील दी है कि 2010 से पहले की पंजीकृत राजनीतिक पार्टीयों पर नियम 14 में हुए संशोधन लागू नहीं होते है। यह सीधे तौर पर बादल पार्टी को लाभ पहुंचाने की कोशिश है। जीके ने कहा कि केजरीवाल या तो बादलों के साथ सांठगांठ करके उनकी पार्टी को बचा रहे हैं या फिर यह केजरीवाल का मास्टर स्ट्रोक है। अब बादल दल यदि हाईकोर्ट में यह मानता है कि उनकी धार्मिक पार्टी है तो पंजाब में पंजीकृत राजनीतिक पार्टी की मान्यता खत्म होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। क्योंकि अकाली दल भारतीय चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड धर्म निरपेक्ष पार्टी है जो कि धार्मिक चुनाव नहीं लड़ सकती है।
जीके ने कहा कि दिल्ली सरकार की दलील हास्यस्पद है। एक ओर सरकार मानती है कि नियम 14 का संशोधन पुरानी राजनीतिक पार्टीयों पर लागू नहीं होता पर दूसरी ओर 2013 के चुनाव ना लड़ने के कारण 2017 चुनाव से पहले मेरी पार्टी शिरोमणी अकाली दल पंथक (जत्थेदार संतोख सिंह) का चुनाव निशान 'मोमबती का जोड़ा' रद्द कर दिया जाता है। जबकि मेरी पार्टी 2007 के चुनाव में 6 सीटों पर चुनाव जीती थी और 2010 से पहले रजिस्टर्ड थी। जीके ने कहा कि पुराने मोटर वाहन कानून में दिल्ली में लालबत्ती लांघने का जुर्माना 100 रुपये था परन्तु कानून में संशोधन होने के बाद अब 5000 रुपये है। आज मेरी गाड़ी यदि लाल बत्ती पार करती है तो क्या मुझसे 100 रुपये जुर्माना लिया जायेगा ? जीके ने कहा कि संशोधित हुए कानून को अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए केजरीवाल सरकार इस्तेमाल करके सीधे तौर पर सिखों के धार्मिक मामलों में दखलअंदाजी कर रही है।
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