दिल्ली कमेटी के सदस्य गुरमीत सिंह शंटी का दावा, सिरसा भी होंगे जल्द बेनकाब, संगत देखेगी असली चेहरा

   गुरुद्वारा कमेटी के घोटालों में सिरसा भी बराबर के भागीदार

—घोटालों से जुडे कई दस्तावेज उनके हाथ लगे, सबूतों से हुई छेडछाड

—सिरसा ने अपने हस्ताक्षर को केमिकल के जरिये मिटाया, कराएंगे लैब से जांच


—सिरसा के कई और घोटालों एवं गुरु की गोलक की लूट से जुडे दस्तावेज मिले


—सिरसा ने दबाव बनाने के लिए दो—दो बार डिसमिस हो चुके सब्जी केस को उठाने की कोशिश की  








नई दिल्ली 18 फरवरी : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य एवं शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के महासचिव गुरमीत सिंह शंटी ने आज यहां दावा किया है कि कमेटी के करप्शन एवं गुरु की गोलक की लूट में पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके के साथ वर्तमान अध्यक्ष मनजिदंर सिंह सिरसा बराबर के दोषी हैं। जीके ने अपने कार्यकाल में जिन—जिन घोटालों को अंजाम दिया है, उसमें सिरसा भी शामिल थे। इसके सबूत उन्हें हाल ही में हाथ लगे हैं। इन सबूतों को वह अदालत एवं जांच अधिकारी को देने ही वाले थे कि सिरसा को भनक लग गई और वह उनपर दबाव बनाने के लिए तीन दिन पहले दिल्ली की एक अदालत में एपिफडेबिड देकर हमारे उपर पूर्व के सब्जी वाले केस को उठाने की कोशिश की है। ठीक उसी तरह जैसे मंजीत सिंह जीके ने अपने भाई हरजीत सिंह जीके को आगे करके इसी मामले को उठाया था।  

 गुरमीत सिंह शंटी ने पत्रकारों के समक्ष दावा किया कि मंजीत सिंह जीके के कथीत घोटालों में मनजिदंर सिंह सिरसा की भी पूरी समूलियत है, क्यों वह उस वक्त महासचिव होते थे और सभी बडे मामलों में दोनों पदाधिकारियों के हस्ताक्षर होते थे। इसके नये सबूत उनके हाथ लगे हैं। शंटी के मुताबिक सिरसा ने सभी दस्तावेजों में किए अपने हस्ताक्षर से छेडछाड की हुई है। हस्ताक्षर की जगह कोई केमिनल से छेडछाड किया गया है। इस सभी दस्तावेजों को लेकर वह बहुत जल्द दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी एवं अदालत को  देकर एसएफएल जांच की मांग करेंगे, ताकि सिरसा के असली चेहरे से नकाब उतर सके और संगत को सच्चाई का पता चल सके। शंटी ने दावा किया कि इसकी भनक लगते ही सिरसा 15 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट में जाकर एफीडेबिड देकर सवाल उठाया है।

 बता दें कि 2013 में उनके खिलाफ सब्जी का केस उठाया गया था, जिसको 2015 में अदालत ने  डिसमिस कर दिया। इसके बाद वर्ष 2013 में अकाली दल बादल की अगुवाई में मंजीत सिंह जीके अध्यक्ष बनें। तब केस क्यों नहीं डाला गया। जबकि वह निर्दलीय सदस्य थे और किसी भी पार्टी से नहीं जुडे थे। इसके बाद वर्ष 2015 से दिसम्बर 2018 तक मंजीत सिंह जीके प्रधान थे। लेकिन सब्जी मामला नहीं उठा।  

लेकिन, 2019 में जब उन्होंने मंजीत सिंह जीके के करप्शन एवं गुरू की गोलक की दुरुपयोग का मामला उठाया, तब उनपर दबाव बनाने के लिए जीके ने अपने सदस्य भाई के जरिये 2019 में सब्जी का केस पिफर उठाया, हालांकि 6 जून 2019 में कोर्ट ने केस को डिसमिस कर दिया।

 शंटी के मुताबिक मनजिंदर सिंह सिरसा अप्रैल 2019 में कमेटी के नये अध्यक्ष बने, तब भी किसी पार्टी में शामिल नहीं था। एक निर्दलीय सदस्य के रूप में संगत की सेवा करता रहा।

 मजेदार बात यह है कि अप्रैल 2019 से लेकर फरवरी 2021 तक कमेटी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा को भी र्कोई गडबडी नहीं नजर आई, और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले थे। लेकिन अब जबकि सिरसा के खिलाफ कई सबूत और रिकाडिंग उनके मिल गई है तब वह नये तरह की नौटंकी खेल रहे हैं।

  गुरमीत सिंह शंटी के मुताबिक मंजीत सिंह जीके के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर 3 केस दर्ज हो चुका है और कमेटी अध्यक्ष सिरसा के खिलाफ 2 केस दर्ज हो चुके हैं। दोनों लोग अपनी गिरेंबा बचाने के लिए संगत का ध्यान भटकाना चाहते हैं, क्योंकि गुरुद्वारा कमेटी का चुनाव सिर पर है।

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कमेटी ने आईटीआई में भी माना है कि कोई सब्जी घोटाला नहीं हुआ


दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व महासचिव एवं वर्तमान सदस्य गुरमीत सिंह शंटी ने दावा किया कि 2019 में कमेटी ने अपनी आरटीआई के जरिये उन्हें बताया था कि कमेटी में उनके कार्यकाल के दौरान किसी प्रकार का सब्जी घोटाला नहीं हुआ था। आरटीआई की प्रति अदालत में भी जमा की गई है। जिस वक्त उन्होंने आरटीआई मांगी थी, तब भी वह निर्दलीय सदस्य ही थे। 

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