देश मे पहली बार ।गुरु तेग बहादुर जी के 400वें जन्मशताब्दी पर "सिक्के का अनावरण"

 


(दिल्ली की नामचीन सख्शियत शिअदद के मंच पर)


नई दिल्ली,(13 फरवरी,2020) : शिरोमणि अकाली दल दिल्ली(शिअदद) द्वारा अयोचित समारोह में सिख जगत की नामचीन हस्तियो, बुध्दजीवी, उद्योगपति, राजनीतिक हस्तियों और परोपकारियों ने एक मंच से श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पुरब को चिह्नित करते हुए स्मारक सिक्के का अनावरण किया। 


सिक्के को नवें गुरु तेगबहादुर जी और सिस गंज साहिब जी की फोटो से अंकित किया गया था। प्रख्यात उद्योगपति डॉ राजिंदर सिंह चड्ढा ने इसका अनावरण किया। शिअदद ने डॉ चड्ढा को देश के सबसे नेक इंसानों में से एक की संज्ञा दी, जो बिना किसी लोभ और नाम के गुरु घर की सेवा में सहयोग कर रहे है।


समारोह का आयोजन चिन्मयानंद मिशन सभागार में हुआ जिसमे जसबीर सिंह बारू साहिब, सुखदेव सिंह ढींडसा(सांसद) , के.सी सिंह, प्रख्यात वकील के.टी.एस तुलसी इत्यादि ने सम्बोधित किया।


शिअदद पार्टी प्रधान परमजीत सिंह सरना ने सभागार में बैठे संगतों को सम्बोधित करते हुए सिख संस्थाओं को फिर से खड़ा करने पर जोर दिया, जो 19 वीं सदी के अंत और 20 वीं सदी की शुरुआत में सिख आंदोलन के दौरान बनाई गई थीं। सरदार सरना ने दिल्ली के सिख समुदाय को आगाह किया कि वे बादल की चालों से बचे, सोशल मीडिया पर थिएटर करने वाले उनके एजेंट डीएसजीएमसी चुनावों के बाद कहीं भी नहीं दिखेंगे। 

"हमारे ऐतिहसिक स्कूल, कॉलेज जो हमने इतने मेहनत से खड़ा किए थे, सब बर्बाद हो रहे है। उनको कोई पूछने वाला नही। सिखी तार-तार हो रही है । आज सेवा के नाम पर संगत को सिर्फ बहलाया जा रहा है। हमारे अध्यापक और कमर्चारियों को 8-8 महीने से तन्ख्वाह नही है मिल रही।"

सरदार सरना ने गुरु पंथ को यह भी बताया कि 

शिअदद इस महीने धार्मिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला कर ननकाना साहिब नरसंहार के शताब्दी को याद करेगी।


सरदार सरना ने सिख जगत से आग्रह किया कि "यदि हमारी गुरूद्वरा व्यवस्था और सिख पंथ को बचाना है तो बादलों को उखाड़ फेंकने की जरूरत है। हमे अपने खोये वक्त को वापस लाना है। "

शनिवार की सभा में अकाली दल के नेता सुखदेव सिंह ढींडसा ने शालीनता से अपने वक्तव्य को रखते हुए बताया कि " श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पुरब को जिस तरह से  सिक्का जारी करके मनाया जा रहा है। वह पहली बार है और काबिले तारीफ है। "


अपनी बात में, प्रोफेसर सुखप्रीत सिंह ने सिख गुरुओ से जुड़े इतिहास को बताकर सभागार में  मौजूद संगत को भावविभोर किया। 


 

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