सिरसा पर फिर एफआईआर, डीएसजीएमसी पर बादल एक धब्बा: SADD

 



संवाददाता (ब्रजेश कुमार)


 नई दिल्ली, 22 जनवरी,2021: दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के वर्तमान प्रधान मनजिंदर सिंह सिरसा पर गोलक के दुरुपयोग को लेकर दूसरी बार मुकदमे के बाद, विपक्षी दलों का हमला तेज हो गया है।

प्रेस को दिए सबूत के अनुसार  दूसरी एफआईआर गोलक चोरी और डीएसजीएमसी के दान के पैसो के साथ हेराफेरी को लेकर बताई जा रही है,जो कि  विपक्षी शिअदद पार्टी के भुपिंदर सिंह पीआरओ के शिकायत के आधार पर ली गई। जारी दस्तावेजों के अनुसार, 1 करोड़ से अधिक की राशि को फर्जी (सेल) कंपनियों के जरिए दुरुपयोग किया गया। जिसके तहत मुकदमा दिल्ली की इकोनॉमिक ऑफेंश विंग के द्वारा किया गया । 


" डीएसजीएमसी प्रमुख मनजिंदर सिंह सिरसा, बादल का राइट हैंड है, जो की जमीन हड़पने, चोरी, गुंडागर्दी इत्यादि के लिए प्रसिद्ध है। दूसरी बार मुकदमा दर्ज होना ,डीएसजीएमसी के इतिहास के ऊपर धब्बा है। कानूनों के प्रावधान के अनुसार ऐसे अपराधियों को 20 साल तक की सजा मान्य है।" 

पूर्व डीएसजीएमसी प्रधान परमजीत सिंह सरना ने हमलावर होते हुए कहा कि "ऐसे कुकृत्यों का सामने आना, गुरु के सिद्धान्तों के साथ विश्वासघात है। जो लोग गुरु की गोलक को लूटते हैं और संगतों के दशवन्ध का गबन करते हैं, उनके ऊपर संगत के द्वारा और संगत के मुद्दों को लेकर भी भरोशा नही किया जा सकता" 


इसके साथ ही सरदार सरना ने सभी विपक्षी पार्टियों को बादलों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर समर्थन देने से परहेज की भी सलाह दी।  


वार्ता में पार्टी महासचिव हरविंदर सिंह सरना भी मौजूद थे जिन्होंने बताया कि,"महामारी के क्रूर काल में सिरसा ने अपने ही कर्मचारियों, स्कूल के अध्यापकों को भूखा छोड़कर अपने प्रचार में व्यस्त रहा। गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूल(जीएचपीएस) के अध्यापकों को 8-8 महीने से तनख्वाह नही मिली है।"

 

 "यह कितना क्रूर है कि पंजाबी बाग में गुरु नानक इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के निःसहाय कर्मचारियों को अब आधे साल से वेतन नहीं मिला है, जबकि डीएसजीएमसी प्रधान खुद के प्रचार के लिए विरोध स्थलों के दौरे करने में व्यस्त हैं।"  


भ्रस्टाचार के खिलाफ " क्रुसेडर " की भूमिका निभाने वाले पूर्व डीएसजीएमसी महासचिव गुरमीत सिंह शंटी ने वर्तमान कमिटी को आड़े हाथो लेते हुए, ताबड़तोड़ सवाल किए।

" यह सबूत आपके सामने है। अभियुक्त के द्वारा सन 2015 में फर्जी कंपनियों के जरिए टेंट( 1054 पीस), कम्बल (10060 पीस),त्रिपाल (1632 पीस) को खरीद कर, संगत के चढ़ावे के तकरीबन 1 करोड़ का गबन किया गया है। 10 से अधिक सेल कंपनियों के आंकड़े आपके सामने है। "


आगे शंटी ने और सबूत पेश करते हुए बताया की "इनके साथ गुरुद्वारों के अंदर की अन्य जरूर समान जैसे वाटर कूलर, आरओ मशीन ,स्टेबलाइजर इत्यादि को अनाथोराइज्ड कंपनियों से महंगे दामो में खरीदा गया है।/ऐसे कुकृत्य ही हमारे डीएसजीएमसी के बर्बादी की मुख्य वजह है। हम कड़ी करवाई की माँग करते है।"

 

शिअदद नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने गुरुद्वारा कोषागार में 123 करोड़ रुपये छोड़ कर गए थे जब 2013 में कार्यालय का निर्माण हुआ था।


 "अब तक, पिछले सात वर्षों में आने वाले राजस्व की वजह से DSGMC खजाने में दोगुनी राशि होनी चाहिए। लेकिन सब कुछ खाली है। DSGMC दिवालिया हो गया है। ग्रन्थियों और रागियों, जिन्हें सम्मान से गुरु का वज़ीर कहा जाता है, उनको दान माँगने के काम पर लगाया गया है।" शिअदद महासचिव शंटी ने चिंताएं व्यक्त की।

 

इस दरम्यान यूथ विंग प्रधान रामानदीप सिंह सोनू भी मौजूद थे जिन्होंने बताया की 

"आज डीएसजीएमसी के कई उच्च-शैक्षणिक सिख संस्थान बंद होने के कगार पर हैं क्योंकि वर्तमान कमिटी  सरकारी अधिकारियों को बकाया भुगतान करने में विफल रहा है। आज सब कुछ बर्बादी के कगार पर आ चुका है। आज आर्थिक, धार्मिक, शैक्षणिक हर तरह से हमारी  डीएसजीएमसी धरोहर बुरे वक्त से गुजर रही है। इसका जिम्मेदार कौन है ? सोनू ने सवाल किया।

प्रेस वार्ता के दरम्यान पार्टी के प्रमुख ओहदेदार मौजूद थे

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