मदद की गुहार में सरना से मिला डेलिगेशन डीएसजीएमसी स्टॉफ को 8 महीने से नही मिल रही तन्ख्वाह





नई दिल्ली(26 दिसंबर, 2020) : शिरोमणि अकाली दल दिल्ली ने दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के अधीन चल रहे  शैक्षणिक संस्थानों के कर्मचारियों के उत्पीड़न की कड़ी निंदा की है।  शिअदद (सरना) के महासचिव गुरमीत सिंह शंटी ने आज यहाँ एक संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए बताया कि वर्तमान कमिटी द्वारा सिख कर्मचारी  धमकाए जा रहे है जिसकी वजह से 3 कॉलेजों के कर्मचारी  अपनी समस्याओं को लेकर पार्टी प्रधान परमजीत सिंह सरना के पास पहुँचे। शंटी ने बताया कि 

" प्रधान साहब और हमने उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए कानूनी सहायता सहित हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।"


पार्टी महासचिव ने आज संवादाताओं के सामने खुलासा करते हुए बताया की वर्तमान बादल कमिटी ने गुरु नानक इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (पंजाबी बाग), गुरु नानक इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (पंजाबी बाग) और गुरु हरगोबिंद इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग के कमर्चारियो को पिछले 8 महीनों से  तनख्वाह नही दिया है।इतना ही नही, अब प्रबधंन की तरफ से गुंडागर्दी भी की जा रही हैं जिससे तंग आकर स्टॉफ ने माननीय कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शंटी ने आगे जानकारी दी कि जिन कर्मचारियों का वेतन 30-35 हजार था, उसे समिति में 15 हजार का वेतन दिया जा रहा है। जो की ईमानदारी से मेहनत करने वाले कर्मचारियों की जिंदगी के साथ मजाक है।


पार्टी महासचिव ने आगे दावा किया कि एक तरफ डीएसजीएमसी के तहत चल रहे संस्थानों के कमर्चारियों को पूरा वेतन नही मिल रहा वही दूसरी तरफ राजनीति चमकाने वाले लोग अलग शिक्षण संस्थानों में भर्ती करने में लगी है।  शैक्षणिक संस्थान (नानक पियाउ इंस्टीट्यूट) में भर्ती की जा रही है, जिसका रिकॉर्ड हमारे पास है।  


शंटी ने सवाल किया कि "अन्य कॉलेजों के कर्मचारियों को नए भर्ती करने के बजाय समायोजित क्यों नहीं किया जा रहा है ? "


दिल्ली गुरुद्वारा कमिटी के पूर्व महासचिव ने बताया कि " सरदार परमजीत सिंह सरना  की अध्यक्षता तक, जो 2013 तक कमिटी में थे, इन कॉलेजों में 400-400 छात्र हुआ करते थे। लेकिन वर्तमान प्रशासकों की अक्षमता और लापरवाही के कारण, तीन कॉलेजों में केवल 29 छात्र (17 + 5 + 7 = 29) ही बाकी है।"


शंटी ने यह भी कहा कि हमारे कार्यकाल के दौरान, एक अच्छी तरह से शिक्षित महानिदेशक को GNIM द्वारा नियुक्त किया जाता था। निदेशक कॉफी प्रशिक्षित और काबिल होते थे। आज समय ऐसा है की मनजिंदर सिरसा और कालका की कमिटी,उस समय के डायरेक्टरों के पीए(स्टेनो) को निदेशक बना कर रखी है। क्या आप उम्मीद कर सकते है ऐसे नाकाबिल लोग कैसे संस्थान चला पाएंगे ?



शंटी ने हमलवार होते हुए कहा कि " दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा को कॉलेज के कर्मचारियों के लिए कोई दर्द या चिंता नहीं है। यही कारण है कि दो कॉलेज जो सिरसा जी के निवास से सिर्फ 5 मिनट की दूरी पर है जहाँ कोई पैदल चलकर भी जा सकता है।

लेकिन कर्मचारियों की समस्याओं को हल करने के लिए उनके पास समय नहीं है। सिरसा का ध्यान केवल राजनीतिक लाभ पर है। जिसके तहत उनका राजनीतिक नाटक चलता रहता हैं ।"


किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए, सरदार शंटी ने कहा कि इस आंदोलन में सरदार परमजीत सिंह सरना के नेतृत्व में हर सिख अपने दसवंश और शिरोमणि अकाली दल दिल्ली से सेवा कर रहा था।  इसके विपरीत, बादल दल के नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए दिल्ली कमेटी के क्षेत्र का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।


 शांति ने यह भी दावा किया की पूरी स्थिति को देखते हुए, यह माना जा सकता है कि समिति के अध्यक्ष मनजिंदर  सिरसा राजनीति में फिट हो सकते हैं, लेकिन सिख सेवा में बिल्कुल भी फिट नहीं होते हैं।  क्योंकि सिरसा को ना तो सिख इतिहास का कोई ज्ञान है,नाही शिक्षण संस्थानों को चलाने की क्षमता है। ऐसे नेताओं को कमिटी से दूर रखना ही ठीक होगा। 


 श्री शांति ने कहा कि जब भी शिरोमणि अकाली दल दिल्ली को सेवा की जिम्मेदारी दी जाएगी, समिति के तहत शैक्षणिक संस्थानों की प्रतिष्ठा पहले की तरह बहाल की जाएगी और कर्मचारियों को पहले की तरह समय पर भुगतान किया जाएगा।  प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंजीत सिंह सरना, दिल्ली कमेटी के सदस्य बलदेव सिंह रानी बाग, सुखबीर सिंह कालरा, पूर्व सदस्य तजिंदर सिंह गोप, सुरिंदर सिंह कैरो, यूथ विंग के अध्यक्ष रमनदीप सिंह सोनू और अन्य नेता भी मौजूद थे।

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