बस्तर में नक्सलवाद की समस्या को लेकर CM भूपेश बघेल ने गृह मंत्री अमित शाह को लिखा पत्र

 




 


रायपुर: कथक प्रयासों के बाद छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्र में नक्सलवाद खत्म होनें का नाम नही ले रहा है। नक्सली आए दिन वारदात को अंजाम देने की कोशिश में रहतें है। इसी बीच छत्तीसगढ़ सरकार नक्सल समस्या के समाधान की दिशा में किये जा रहे प्रयासों के संबंध में दिनांक 03 सितम्बर, 2020 को मेरे द्वारा लिखे गये पत्र के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर आपका ध्यान आकर्षित किया गया था। मुझे खुशी है कि तत्संबंध में आपके द्वारा संज्ञान लेते हुए छत्तीसगढ़ राज्य हेतु वर्ष 2018 में आबंटित की गई 07 अतिरिक्त सीआरपीएफ बटालियन में से तत्काल 05 बटालियन बस्तर क्षेत्र में तैनात किए जाने हेतु निर्देशित किया गया। मुझे यह भी ज्ञात हुआ है कि बस्तर क्षेत्र के युवाओं को राष्ट्रीय पटल पर देश सेवा एवं रोजगार के अवसर प्रदाय करने हेतु सेना की विशेष भर्ती रैली मार्च 2021 में बस्तर संभाग में आयोजित करने का विचार किया जा रहा है। निश्चित रूप से इन दोनों विषयों पर आपके द्वारा की गई पहल के माध्यम से नक्सल विरोधी अभियान में हमें निर्णायक बढ़त प्राप्त होगी।


 


विगत वर्षों में भारत सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित राज्यों को सुरक्षा बल, आधुनिकीकरण अघोसरचना निर्माण एवं संचार साधनों के विकास हेतु उदारतापूर्वक सहायता उपलब्ध कराई गई है जिसके सकारात्मक परिणाम सामने उदारतापूर्वक सहायता उपलब्ध कराई गई है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए है। नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए यह आवश्यक है कि वर्तमान में जारी रणनीति के साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन किया जाए जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बेरोजगार विवश होकर नक्सली समूहों में शामिल न हो। नक्सल क्षेत्रों के वनाच्छादित होने एवं दुर्गम क्षेत्रों के कारण वहां आर्थिक गतिविधियों का विकास चुनौतीपूर्ण कार्य है। मेरा सुझाव यह है कि नक्सल हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में वृहद पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराये जाने हेतु निम्नलिखित कार्य किए जाने चाहिए।


 




 


1- बस्तर अंचल में लौह अयस्क प्रचुरता से उपलबध है यदि बस्तर में स्थापित होने वाले स्टील प्लांट्स को 30 प्रतिशत डिस्काउन्ट पर लौह अयस्क उपलब्ध कराया जाए तो वहां सैकड़ों करोड़ का निवेश तथा हजारों की संख्या में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर निर्मित होंगे।


 


2- कठिन भौगोलिक क्षेत्रों के कारण बड़े भाग में अभी तक ग्रिड की बिजली नहीं पहुंच पाई है। सौर उर्जा संयंत्रों की बड़ी संख्या में स्थापना से ही आम जन की उर्जा आवश्यकता की पूर्ति तथा उनका आर्थिक विकास संभव है।



 

 


3- वनांचलों में लघु वनोपज, वन औषधियां तथा अनेक प्रकार की उद्यानिकी फसलें होती है। लेकिन उनके प्रसंस्करण एवं विक्रय की व्यवस्था न होने के कारण संग्राहकों को इनका समुचित लाभ प्राप्त नही हो रहा है । उन क्षेत्रों में स्थापित होने वाली प्रसंस्करण इकाईयों एवं कोल्ड चेन निर्मित करने के लिये उदारतापूर्वक अनुदान दिये जाने की आवश्यकता है।



4- बस्तर में इन्द्रावती नदी पर बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना का निर्माण प्रस्तावित है। इस परियोजना के क्रियान्वयन से सिंचाई एवं उर्जा क्षमता के विकास से बस्तर अन्चल के बड़े भाग का काया कल्प हो जायेगा। इस परियोजना की स्थापना हेतु भी केन्द्र सरकार से सहायता अपेक्षित है।


 


5- वर्तमान में आकांक्षी जिलों  को केन्द्र सरकार की ओर से पृथक से कोई आर्थिक अनुदान नहीं दिया जा रहा। राज्य के बस्तर अन्चल के सातों जिले आकांक्षी जिलों के रूप में चिन्हांकित है। उचित होगा कि लोगों की आजीविका के साधनों के विकास हेतु कलेक्टरों को कम से कम 50-50 करोड़ रूपये की राशि प्रतिवर्ष दी जाये।


यदि उपरोक्त सुझावों का क्रियान्वयन किया जाये तो आगामी कुछ ही वर्षों में बस्तर अन्चल से नक्सलवाद को जड़ से समाप्त किये जाने में सहायता मिलेगी। अनुरोध है कि उक्त समस्त गतिविधियों के संचालन हेतु केन्द्र से अधिक से अधिक सहायता उपलब्ध कराने का कष्ट करें।

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