निजीकरण करने की क्या आवश्यकता पड़ी-- दिल्ली प्रदेश नेशनल पैंथर्स पार्टी

 दिल्ली प्रदेश नेशनल पैंथर्स पार्टी 




नई दिल्ली, 14 सितम्बर, 2020

जनता पूछ रही सरकारी उपक्रमों का 

भारत की जनता की अगवाई करते हुए दिल्ली प्रदेश नेशनल पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष श्री राजीव जौली खोसला ने आज दिल्ली पैंथर्स मुख्यालय में एक वर्चवल गुगल मीट पर वार्ता करते हुए पूरे भारत के पैंथरों को जोड़कर भारत की जनता, जिसके दिल में कहीं न कहीं आजादी के बाद से सरकार की भूमिका देखते आये कि सभी कार्य व सरकारी अधिकारियों के अधीन ही होते थे। मुख्यरूप से रेल यातायात, इवाई यातायात, संचार विभाग, भारतीय जीवन बीमा निगम, भारत पेट्रोलियम व कोयले की खदानें जिससे सैंकड़ों प्रकार की अमूल्य धातुएं भी निकलती हैं, जिनका वर्तमान सरकार द्वारा सभी का निजीकरण किया जा रहा है, जो भारत की जनता के साथ अन्याय और धोखाधड़ी है। क्या भारत सरकार के उचाधिकारियों को सुचारू रूप से जनता के प्रति काम करने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर सकती है। निजीकरण होते ही वह काम सुचारू रूप से कैसे चलने लगता है, कम तनख्वाह में भी। इसका मतलब सरकारी उचाधिकारी सिर्फ अपनी कुर्सियों पर बैठकर तनख्वाह ले रहे हैं व सरकारी उपक्रमों का लाभ उठा रहे हैं, जिससे जनता पिसती जा रही है। कांग्रेस द्वारा दिल्ली में बिजली का निजीकरण किया गया, जबकि अरबों-खरबों रुपये की सरकारी मशीनरी प्राइवेट कम्पनियों को कौड़ियों के भाव बेच दी गयी, लेकिन तब से जनता को बिजली पूर्णरूप से मिलने लग गयी महंगी ही सही। पैंथर्स संस्थापक प्रो. भीमसिंह ने वार्ता में जुड़कर सभी को मुबारकबाद दी कि आपने कम से कम सोच के आवाज तो उठाई है। मैं तो पहले दिन से कहता हूं कि 20 लीटर से लेकर पानी की बोतल बिक रही है, ऐसा समय आएगा कि भारतवासियों के घर पर एक खाली गिलास भी नहीं बचेगा और अब सब राष्ट्रप्रेमी एकजुट होकर सभी धर्मों के किसी भी प्लेटफार्म के जरिए आवाज उठाएं। लुधियाना से जुड़े human right  Council ke national चेयरमैन डा. नरूला जी ने भी 21 तारीख के बाद एक प्लेटफार्म तैयार कर आवाज बुलंद करने के लिए कहा। जब हमें पता चला डेढ़ वर्ष पहले कि नागालैंड अलग हो चुका है, तब हमने खोसला के साथ संसद पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करायी, वह शिकायत आज तक कागजों में दबकर रह गयी।   

इसी प्रकार डीटीसी व संचार विभाग को पूर्णरूप से खत्म करने की योजना बन चुकी है, जबकि बीएसएनएल के बाद आये मोबाइलों की सिम चाहे वह जीओ की हो, वोडाफोन की हो या एअरटेल की, दिनोंदिन तरक्की करते गये और सरकारी मशीनरी को खत्म करते रहे, जिसके कारण सरकारी दफ्तरों में होने वाले कार्यों से जनता परेशान होती रही और निजीकरण होते ही गरीब, गरीब होता रहा और अमीर और अमीर होता रहा। चंद लोग सरकार को अपने हाथों में लेकर निजीकरण का फायदा उठा रहे हैं। 

सभा में उपस्थित तमिलनाडु से नरेश अम्बेडकर, पंजाब से डा. नरूला, हिमाचल से परवीन, बिहार से तूफान सिंह, यू.पी. से रंजीत, हरियाणा से अधिवक्ता भारत भूषण, तेलंगाना से के श्री कृष्णा, दिल्ली से प्रीतपाल सिंह, राकेश रांगी, स्वर्ण सिंह यादव, डा. कृष्ण, ओम किशन, अनूप, अमजद खान, सोनू व अन्य लोग प्रमुख थे। शीघ्र ही कश्मीर से कन्याकुमारी तक निजीकरण को रोकने की आवाज को बुलंद किया जाएगा।              

 

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