रक्षाबंधन नारी जाति की रक्षा का संकल्प व सम्मान प्रतीक -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
*श्रावणी पर्व व रक्षाबंधन पर आर्य विचार गोष्ठी सम्पन्न*
*यज्ञ,योग व स्वाध्याय को बनाये जीवन का अंग-दर्शनाचार्या विमलेश बंसल*
रविवार, 2 अगस्त 2020, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "श्रावणी पर्व व रक्षाबंधन" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कोरोना काल मे परिषद का 67वां वेबिनार था।सभी ने नारी जाति की रक्षा व राष्ट्र रक्षा का संकल्प दोहराया।
वैदिक विदुषी,दर्शनाचार्या विमलेश बंसल ने कहा कि श्रावणी का अर्थ होता है आर्ष ग्रंथों का सुनना सुनाना ,पढ़ना पढ़ाना अतः हमें इस दिन यज्ञ ,योग व स्वाध्याय का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा हमारे ऋषि मुनि पुरातन काल मे अपने आश्रमों ,गुफाओं आदि से निकल कर सामान्य जनों को वेदों और शास्त्रों के ज्ञान देने के लिए निकल आते थे। महर्षि दयानन्द के अनुयायी आर्य समाजी लोग भी इसे वेद प्रचार सप्ताह के रूप में भी मनाते है। यज्ञ,वेद व संस्कृति का प्रचार करने के लिए ये समय सर्वोत्तम माना गया है।साथ ही उन्होंने यज्ञोपवीत संस्कार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मातृ, पितृ व आचार्य ऋण को स्मरण रखने का संकल्प दिलवाया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि स्वाध्याय न करने के कारण ही हम सच्चे साधु, सन्त, महात्मा, गुरु इत्यादि की पहचान करने में असमर्थ रहते हैं। वर्तमान में तथाकथित गुरुओं के बहकावे में आकर अंधविश्वास,पाखंड,रूढ़िवाद में फंस जाते हैं । वेद ज्ञान हमे पाखंड,अंधविश्वास,रूढ़िवाद से दूर करता है और सच्चे परमात्मा से जोड़ने का कार्य करता है।श्रावणी पर्व पर ऋषियों के माध्यम से स्वाध्याय व आर्ष ग्रन्थों को श्रवण कर सकते हैं।साथ हीं उन्होंने लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के 100वीं पुण्यतिथि पर उनके द्वारा किये कार्यों को स्मरण किया और स्वामी समर्पणानन्द जी के 125वीं जन्म शताब्दी पर उनके पुनीत कार्यों को आगे बढ़ने का संकल्प दिलाया।
गोष्ठी की अध्यक्ष आर्य नेत्री उषा आहूजा ने कहा कि श्रावणी का पर्व वेदों के अध्ययन करने का संकल्प लेकर उसे निभाने व पूरा करने, उसमें निष्णात होने का पर्व है। अपने स्वाध्याय के अनुभव से हमें लगता है कि सबसे पहले हमें सत्यार्थ प्रकाश , ऋग्वेदादिभाष्य भूमिका, मनुस्मृति, उपनिषद्, 6 दर्शन और इसके पश्चात ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद व अथर्व वेद का अध्ययन करना चाहिये।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि "यज्ञोपवीत' का महत्व हिन्दू समाज के प्रायः सभी वर्ग के महानुभाव जानते हैं और विशेषतः सब वैदिक धर्मी यज्ञोपवीत को धारण करते है जो हिन्दू समाज का अभिन्न अंग है।
प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने संचालन करते हुए सभी को श्रावणी पर्व व रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में शुभकामनाएं दी और साथ हीं राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के रचनाकार पिंगली वेंकैया की 144वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
गायिका संगीता आर्य,वीना वोहरा,पुष्पा चुघ,नरेश खन्ना,संध्या पांडेय,देवेन्द्र गुप्ता,मृदुला अग्रवाल, रविन्द्र गुप्ता,सुषमा गुगलानी,दीप्ति सपरा,सुलोचना देवी आदि ने सुन्दर गीत प्रस्तुत किये ।
मुख्य रूप से आचार्य महेंद्र भाई,आनन्द प्रकाश आर्य(हापुड़),अमरनाथ बत्रा,जगदीश मलिक,उर्मिला आर्या(गुरुग्राम),त्रिलोक शास्त्री,ओम सपरा,राजश्री यादव, नरेश प्रसाद,विजेन्द्र गर्ग,प्रकाशवीर शास्त्री आदि उपस्थित थे ।
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