आईआईटी दिल्ली के विद्यार्थी बाल यौन अपराधों में कमी लाने हेतु सरकार की मदद करेंगे। सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, कानूनी सहित सभी पक्षों का अध्ययन कर देंगे सुझाव।
नई दिल्ली - Meri Awaaz(मेरी आवाज़):POCSO के बारे में जानकारी, जागरुकता बढ़ाने और शिकायत दर्ज करने के लिए बच्चों की सुरक्षा हेतु बनाया अब तक का सबसे बढ़िया एंड्रॉयड ऐप
- विभिन्न आयामों पर शोध करने और समाधान अभियान हेतु बनाई गई 100 विद्यार्थियों की टीम
नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली के राष्ट्रीय सेवा योजना के छात्र अब बाल यौन उत्पीड़न के विरुद्ध मुहिम की आवाज़ बनेंगे। बच्चों से संबंधित यौन उत्पीड़न, हिंसा के लिए बने कानून पॉक्सो जागरूकता संबंधी जानकारी समाज में छात्रों द्वारा दी जाएगी। इसके लिए करीब एक सौ छात्रों की टीम बनाई गई है।
इस उद्देश्य के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान नई दिल्ली में समाधान अभियान के तत्वाधान में POCSO जागरूकता कार्यशाला में विद्यार्थियों का प्रशिक्षण हुआ। पिछले लगभग दो दशक से विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर कार्यरत, समाधान अभियान की निदेशिका अर्चना अग्निहोत्री ने विद्यार्थियों को POCSO को विस्तृत जानकारी दी। समाज में बच्चों के साथ हो रही ऐसी भयावह घटनाओ के दुष्प्रभाव केस स्टडी के माध्यम से बताते हुए उन्होंने इस अभियान को बचपन बचाने का महत्वपूर्ण प्रयास कहा। उन्होंने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि पीड़ित बच्चों के दर्ज केस में सबसे अधिक शोषण क़रीबी व्यक्तियों द्वारा होता है। इन मामलों में 90% बच्चों की स्कूली शिक्षा छूट गई है। ये बच्चे जो खुद पीड़ित हैं, उन्हें बेहतर जीवन के लिए समाज की मुख्य धारा से जोड़ना बहुत ज़रूरी है।
कार्यशाला के दूसरे चरण में जानी-मानी लाइफ कोच व मनोवैज्ञानिक डॉ अभिलाषा द्विवेदी ने पीड़ित बच्चों की मनोवैज्ञानिक समस्याओं और उनके दोबारा समान्य जीवन में आने वाली समस्याओं और निदान पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि बाल यौन शोषण में लिप्त अपराधियों की मनोवृत्ति की स्टडी के आधार पर समाज में जैविक, बौद्धिक ही नहीं अध्यात्मिक विकास को गंभीरता से समझे जाने की आवश्यकता है। नीदरलैंड्स के जेल क़ैदी सुधार जैसे मॉडल को अपने देश में भी विकसित किए जाने चाहिए। इतनी बड़ी आबादी वाले देश में अपराध नियंत्रण भी बड़ी चुनौती है। पुलिस प्रशासन को अपराध में कमी लाने के लिए व्यापक सुधारवादी अभियान चलाना चाहिए। अपराध के मनोविज्ञान और उसके पीछे के कारकों का अध्ययन कर उस पर नियंत्रण लाने का यही उपाय है। जिसका कुछ देशों में सफल परीक्षण हो चुका है। पर्सनैलिटी के प्रकार और विकार, मस्तिष्क पर ऑडियो विजुअल्स के प्रभाव और शरीर में रासायनिक स्राव की जानकारी विद्यार्थियों को दी।
अभियान के संयोजक आईआईटी के छात्र सक्षम व छात्रा विदुषी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यशाला बेहद महत्वपूर्ण थी। हमारे साथियों को समाज के प्रति जिम्मेदारी पता है। हमें बच्चों के साथ होने वाले ऐसे अमानवीय यौन अपराधों के विरुद्ध एडवोकेसी में और सघनता के साथ काम करने की जरूरत है। इस दिशा मे हम कई स्तर पर लोगों को pocso के प्रति जागरूक करने और आपराधिक मनोवृत्ति पर नियंत्रण करने के लिए शोध काम करने जा रहे हैं। प्रशासन और पुलिस विभाग के सहयोग से इस काम में समाज की सहभागिता बढ़ेगी और हम बच्चों को स्वस्थ समाज दे सकेंगे, ये हमारी अपेक्षा और प्रयास है।
विद्यार्थियों ने वर्कशॉप के दौरान बाल उत्पीड़न से समाज को निजात दिलाने के लिए प्रयासरत रहने की शपथ भी ली।
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