पारस हॉस्पिटल गुरूग्राम में 45 वर्षीय महिला के पेट से 11 सेन्टीमीटर का ट्यूमर निकाला


मरीज के पेट में दायीं तरफ हो रहा था असहनीय दर्द ° पारस मे आने से पहले, कई अस्पतालो ने इस सर्जरी को करने से इन्कार किया था ° इस प्रकार के कैंसर की सर्जरी को करने के लिए आधुनिक मशीनों की जरूरत होती है ° छह घंटे तक चली सर्जरी के बाद मरीज की हालत में सुधार हो हुआ ° इस सर्जरी को अंजाम देने वाली टीम में थे डॉ. अनुराग खेतान, चीफ ऑफ न्यरूलॉजी, डॉ. सुमित शर्मा, सीनियर कन्सलटेन्ट न्यूरोलॉजिस्ट, डॉ.कौशल यादव, सीनियर कन्सलटेन्ट सर्जीकल ऑक्कोलॉजी, डॉ.हिमांशु वर्मा सीनियर कन्सलटेन्ट वॉस्कुलर सर्जरी शामिल। *गुरुग्राम, 16 जनवरी, 2020:* पारस हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम,ऑन्कोलॉजी प्रोसिजर के लिए अग्रणी रूप से जाना जाता है, दिल्ली और राजधानी में कुछ अस्पतालो एक बन गया है, जिसने 45 वर्षीय मरीज, की एक जटिल ट्यूमर सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। यह सर्जरी गुरूग्राम निवासी 45 वर्षीय सन्ध्या की की गई जिसके पेट की दाहिनी ओर 11 सेंटीमीटर का ट्यूमर होने के कारण भीषण दर्द रहता था, यह ट्यमर जो उप्पर वेनाकेवा (शरीर के निचले आधे हिस्से से रक्त लेने वाली एक रक्त वाहिनी) से महाधमनी (पूरे शरीर मे रक्त की आपिर्त करने वाली मुख्य रक्तवाहिका ) और दाहिने गुर्दे की तरफ बढ़ रहा था। लेयोमायोसाकोरमा प्राथमिक तौर पर घातक ट्यूमर है और उप्पर वेनाकावा (आईवीसी) को प्रभावित करता है, और यह आिंशक मासं पेशी कोशिकाओं से उत्पन्न होता है। आईवीसी के लगभग 74 प्रतिशत लियोमीसोर्कोमास 40 से 60 वर्ष (15) के बीच की महिलाेएओ को प्रभावित करते हैं। इस तरह के कैंसर के सर्जिकल प्रबंधन के लिए अग्रिम सूविधाओं की आवश्यकता होती है । और पारस अस्पताल में ऑन्कोलॉजिस्ट, यूरोलॉजिस्ट, ऑनकोसर्जन और वास्कुलर सर्जन की एक टीम रोगी के बचाव में जुटी। इस बारे में चीफ ऑफ यूरोलॉजी डॉ. अनुराग खेतान, जो कि इस टीम का नेतृत्व कर रहे थे ने बताया ‘‘यह बहुत ही दुर्लभ ट्यूमर में से एक है। जैसा कि इस ट्यूमर का स्थान बहुत कठिन क्षेत्र में था और सर्जरी बहुत जटिल थी, उसे कई अस्पतालों में सर्जरी से मना कर दिया गया था। बाद में उसने पारस हॉस्पिटल के यूरोलॉजी विभाग में सम्पर्क किया। हमारे पास पीईटी स्कैन और सीटी गाइडेड बायप्सी जैसी आधुनिक जाचं सुविधाए होने के कारण हमने मरीज की जाचं इन उपकरणों से की जिसमे उच्च श्रेणी का सरकोमा पाया गया। चूंक इस प्रकार के ट्यूमर कीमोथेरेपी और रिडयोथेरेपी के लिए बहुत प्रतिरोधी हैं, इसलिए मरीज के जीवित रहने की एकमात्र संभावना सर्जरी थी। हमने सर्जरी की, जो छह घंटे तक चली और इस तरह ट्यूमर को पूरी तरह से हटा दिया। मरीज ने सर्जरी को बहुत अच्छी तरह से सहन किया और अब उसकी स्थिति में काफी सुधार है।

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