गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब परिसर में पुलिस के द्वारा किसानों को हिरासत में लेने पर जीके ने सिरसा को लिखा पत्र देखिये


गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब परिसर में पुलिस के द्वारा किसानों को हिरासत में लेने पर जीके ने सिरसा को लिखा पत्र देखिये


*जीके ने पूछा,क्या गुरुद्वारा परिसर में भी धारा 144 लागू हो गई है ?*


नई दिल्ली (8 जुलाई 2021) गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब परिसर में 1 जुलाई 2021 को दिल्ली पुलिस के द्वारा किसानों को हिरासत में लेने के मामले पर विवाद हो गया है। जागो पार्टी के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने इस मामले पर हिरासत में लिए गए किसानों से आज जागो पार्टी दफ्तर में मुलाकात करने के बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यशैली पर सवाल उठा दिए। कमेटी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा को लिखे पत्र में जीके ने सिरसा से 10 सवाल पूछे है। जीके ने सिरसा से पूछा है कि पुलिस को गुरुद्वारा परिसर में आने तथा किसानों को हिरासत में लेने की मंजूरी किस ने दी थी ? क्या गुरुद्वारा परिसर में भी धारा 144 लागू हो गई है ? किसानों की गुरुद्वारा परिसर से गिरफ्तारी के 7 दिन बाद आप चुप क्यों है ? पुलिस ने बच्चों को दबोचकर बसों में भरा, आपने पुलिस के उच्च अधिकारियों या सरकार के सामने इस मामले को उठाया ? दिल्ली कमेटी दफ्तर में किसानों के आने की सूचना पुलिस को कौन देता हैं ? दिल्ली पुलिस किस प्रकार कमेटी दफ्तर में संगत को आने से रोक सकती है ? गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब का मुख्य द्वार बंद करने की मंजूरी दिल्ली पुलिस को आपने क्यों दी ? दिल्ली पुलिस के द्वारा बच्चों को हिरासत में लेने की राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग में दिल्ली कमेटी ने शिकायत क्यों नहीं दी ? आप किसानों के साथ है, या पुलिस के साथ ? 


जीके ने बताया कि सोशल मीडिया पर गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब परिसर की एक वीडियो वायरल हुई थी, जिसमें पुलिस व पैरा मिलिट्री फोर्स के जवान कुछ किसान परिवारों को बच्चों सहित पकड़ करके बसों में डाल रहे थे। यह घटना 1 जुलाई 2021 की बताई जा रही है। आज इनमें से कुछ लोग हमारे पास पहुंचे और दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने इन्हें गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब परिसर में 1 जुलाई 2021 को हिरासत में लेकर कुछ घंटों के बाद नाम, पता लिखकर छोड़ दिया था। जबकि उन्होंने संसद मार्ग स्थित डीसीपी दफ्तर में जंतर मंतर से संसद भवन तक मार्च निकालने के लिए अनुमति पत्र लिखित में दिया हुआ था। जैसे ही यह गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के दरबार हाल में अरदास करने के बाद अपने नियत स्थान जंतर-मंतर की ओर बढ़ने के लिए गुरुद्वारा साहिब के मुख्य द्वार की तरह जा रहें थे, तो पुलिस ने गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब का मुख्य द्वार बंद कर दिया तथा इन्हें गिरफ्तार करने के लिए चारों तरफ से घेर लिया गया। इस जबरदस्ती के दौरान पगड़ी भी कई लोगों की उतर गई। यह चिल्लाते रहे कि मुख्य द्वार खोल कर हमें जंतर-मंतर जाने दिया जाए, पर पुलिस नहीं मानी। इसकी पुष्टि कई वीडियो भी कर रहे हैं। इसके अलावा इनका दावा है कि 6 जुलाई को इस संबंधी दिल्ली कमेटी अध्यक्ष से मिलने और पुलिस की शिकायत करने के लिए जब यह गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब स्थित कमेटी दफ्तर आए तो जनरल मैनेजर के कमरे में पुलिस आ गई और पुलिस ने 1 जुलाई के बाद 6 जुलाई को भी इन पर मुकदमे दर्ज कर दिए। जिसके बाद 7 जुलाई को फिर कमेटी दफ्तर में आकर इन्होंने अपना शिकायती पत्र डिस्पैच विभाग में जबरदस्ती जमा करवाया। इसलिए यह गंभीर मसला है, जिसका जवाब कमेटी को देना चाहिए।

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