बाला साहिब अस्पताल पर बड़ा यू-टर्न अकाली बादल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने झूठ फैलाने की बात स्वीकारी

 





नई दिल्ली (25 दिसम्बर, 2020): कभी बाला साहिब अस्पताल का मुद्दा बनाकर दिल्ली सिख सियासत में एंट्री मारने वाली शिरोमणि अकाली दल (बादल) अब अपने बदले बयानों की वजह से विरोधियों के निशाने पर है।


शिरोमणि अकाली दल, दिल्ली बादल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरमनजीत सिंह ने मीडिया में दिए एक बयान में यह बात स्वीकारी कि सरना ने अस्पताल बनाकर नेक काम किए थे और बादल ने झूठ बोलकर 2013 का चुनाव जीता। 


इस बारे में दिल्ली गुरुद्वारा कमिटी के पूर्व प्रधान परमजीत सिंह सरना ने बताया कि " हमने अस्पताल का निर्माण बकायदा कानूनी तौर पर पास ट्रस्ट के तहत कराना शुरू किया। जिसके सदस्य दिल्ली के नामी-गिरामी शख्सियतें भी थी। बाला साहिब अस्पताल को मुख्य तौर पर गरीब जरूरतमंदों के लिए बनाना था। लेकिन यह इनके गंदी राजनीति की वजह से पूरा नही हो सका"।

हरमनजीत सिंह द्वारा दिए बयान के बारे में पूछे जाने पर, शिअदद प्रधान परमजीत सिंह सरना ने तंज कसते हुए कहा कि " ठीक है, जब आपकी अन्तरात्मा इतने सालों बाद जगी है तो इस बात को अब अपने चंडीगढ़ बैठे आकाओं से कहिए। और पूछिए की इतने दिनों तक उन्होंने इतना झूठ क्यों बोला ? और क्या आप अनुमान लगा सकते है कि इससे हमारी सिख संगत का कितना  नुकशान हुआ ?


जानकारी हो की तत्कालीन पंजाब मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की अगुवाई में गठित दिल्ली विंग जिसमे मंजीत सिंह जीके, कुलदीप सिंह भोगल ,मनजिंदर सिंह सिरसा इत्यादि शामिल थे। उस समय के दिल्ली गुरुद्वारा कमिटी के प्रधान परमजीत सिंह सरना को जमकर घेरा और अस्पताल बेचने का आरोप लागकर, उस समय का इसे सबसे बड़ा राजनीतिक मोहरा बनाया। और 300 बेडो के अस्पताल के निर्माण को रूकवाया । आज विशालकाय निर्माणधिन अस्पताल, बंजरता के कारण, अंतिम साँसे लेने को मजबूर है। 


समय की करवट कहें या प्रकिर्ती का नियम, बादल गुट के उस समय के सबसे बड़े नेता सरना पर लगाए आरोपो को निराधार बता रहे है और उनको अब क्लीन चिट दे रहे है। 

राजनीतिक पेंच और नत्थाकसियो में जाने के बजाय, हमें इस मुद्दे को जनता के द्रष्टिकोण से देखने की जरूरत है। 


यदि यह नेता सेवा के इस पवित्र क्षेत्र को राजनिती का अखाड़ा नही बनाते तो, आज महामारी के घोर प्रकोप में जनता को आलीशान अस्पताल तो मिलता। 

जोकी पैसे और सहयोग की कमी के चलते मदद की उम्मीद लगाए बैठे है।

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