छोटे भाइयों ने मिलकर छीन लिया बड़े भाई का आशियाना

नई दिल्ली -

आज हम आपको ऐसे इंसान से मिलवा रहे हैं जिसने अपने जीवन भर की कमाई से रहने के लिए एक आशियाना बनाया जिसपर आज उंन्ही के छोटे भाइयो ने नियत खराब करके उनसे छीन ली है आपको बता दें कि पंजाब में भड़के 1987 के दंगों में वैसे तो कई परिवार प्रभावित हुए थे उन्ही में से एक है राष्ट्रीय हिन्दू शक्ति संगठन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आर एस बाली जी जो आतंकवाद से प्रभावित होकर 1987 में पंजाब से कुरुक्षेत्र आये और कुरुक्षेत्र से 1988 में अकेले ही दिल्ली आते है और दिल्ली की आजादपुर मंडी में मजदूरी करने लगते है उनका कहना है कि जब मुझे पता चला कि दिल्ली में दंगो से प्रभावित लोगों के लिए सरकार ने टेंट लगा रखे हैं और उनमें  रहने वाले लोगों को 1000 रुपये महीना और आवास दिया जा रहा है तो मैंने अपने माता पिता को जाकर बताया और उनको भी अपने साथ दिल्ली ले आया वह मेरे साथ आने के लिए तैयार हो गए सबसे पहले पिता और मेरा छोटा भाई रंधीर बाली हम तीनों ने दिल्ली आकर तीस हजारी में हमने पंजाब का  राशन कार्ड दिल्ली में जमा करवाया और बताया कि आतंकवाद की वजह से पंजाब छोड़कर दिल्ली आए हैं 


उन्होंने कहा एक महीने बाद आना फिर मैं दिल्ली में रह गया और पिता व भाई वापिस कुरुक्षेत्र चले गए मैं वही आजादपुर मंडी में मजदूरी करने लगा और मेरे पास रहने के लिए कोई घर नही था मैं फुटपाथ पर बोरी बिस्तर बिछाकर सोने लगा 1 महीने बाद में कुरुक्षेत्र गया और पिता और भाई को लेकर आया और हमने कागजाति कार्यवाही पूरी की तो हमे सरकार की तरफ से 1000 रुपये महीना मिलने लगा जिसके बाद हम लोग पीरागढ़ी कैंप नहीं गए हमने पालम कॉलोनी के राज नगर में एक कमरा व रसोई200 रुपये  किराए पर ले लिया मां और छोटे भाई अजय वाली और राजेश वाली को भी कुरुक्षेत्र से दिल्ली ले आए और हम सब मिलकर वहां रहने लगे इसके बाद मेरा एक बहनोई और बहन जो कि सऊदी अरब में रहते थे वह हमसे मिलने के लिए दिल्ली आए उन्होंने ₹20000 रुपये नगद और कुछ वैसे हमारी मदद की और फिर छोटा भाई रनधीर वाली जो एम बी ए कर चुका था उसको धौला कुआं कॉलेज में एडमिशन मिल गया 1991 में जो सबसे छोटा भाई अजय वाली था उसने 12 वी  कर रखी थी तो उसको भी दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी मिल गई 

उसके बाद 1992 में हमारी सऊदी अरब वाली बहन बहनोई ने उनका एक मकान जो मयूर विहार फेस वन हैं उन्होंने हमें रहने के लिए दे दिया फिर कुछ पैसे बहनोई और हमने मिलाकर एक प्लॉट सेक्टर 40 गुड़गांव मोहियाल  कॉलोनी झारसा गाव में है उसको मेने औऱ मेरे पिताजी ने मिलकर 65000 रुपये में खरीद लिया जिसके बाद मेरी शादी मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस में नोकरी करने वाली लड़की से हुई थी जिसका मुझे काफी अच्छा फायदा मिला क्योंकि हमने आर्य समाज मन्दिर से शादी की थी जिससे भी मुझे कुछ आर्थिक मदद मिल गई और हमने अपने विकास पत्र अपनी बहन जो कि दिल्ली में ही रहती हैं उनको बेच दिया और कुछ पैसा मेरी पत्नी ने सोसायटी से लोन ले लिया जिसके बाद मेने और मेरे पिता ने मिलकर प्लाट पर घर बनाना शुरू करवा दिया वह प्लाट सभी के सहयोग से3 मंजिला इमारत बन गई हालांकि सभी के सहयोग से शुरुआत हुई थी मेरा और मेरे पिता के साथ बाकी सभी छोटे भाइयो का भी सहयोग रहा फिर उस बिल्डिंग में हिस्से बांटे गए नीचे का हिस्सा रनधीर वाली को जो कि पेशे से एक वकील हैं दूसरा हिस्सा यानी कि फस्ट फ्लोर अजय बाली और राजेश वाली को दिया गया उसके ऊपर का हिस्सा यानी कि दूसरा फ्लोर आर एस बाली यानी कि मुझे दिया गया जिसमे माता पिता रहने लगे क्योंकि मेरी पत्नी को उस समय सरकारी आवास मिला हुआ था तो में अपने परिवार के साथ उसी में रहता था पिता की मृत्यु के बाद उसमे केवल मेरी माँ रहती थी जिसके बाद ढाई साल पहले मेरी मां की मृत्यु के बाद अजय बाली मेरे छोटे भाई ने मुझसे व मेरी बहनो से यह कह कर मकान के पेपर पर साइन करवा लिए की मैं  एक मंजिल ऊपर बनवा लेता हूं जिससे अजय वाली ने दिल्ली मिनिस्ट्री के लिए कुछ पेपर मुझसे और मेरी तीन बहनों से साइन करवा लिए और हमने विश्वास में आकर साइन कर दिए मकान खाली होने की वजह से उसमे किरायदार रह रहे हैं जिसका न तो मुझे किराया दिया जाता हैं  और ना मकान दे रहे हैं हमारे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है क्योंकि इन तीनों भाइयों का यही रिकॉर्ड है यह आपस में मिलकर यही करते हैं जैसे कि इन्होंने पहले भी इन्क्लेव वाली बहन का मकान भी इसी तरह से हड़प लिया है जो कि आज भी मेरी बहन के नाम है जिसपर कब्जा किये हुए हैं 

जब वह बार बार अपना मकान मागने लगी और बार-बार आकर  परेशान करने लगी क्योंकि उनके घर में भी इसी वजह से रोज लड़ाई झगड़ा होने लगा तो वह जब इन तीनो भाइयो के पास आई तो इन्होंने साफ-साफ इंकार कर दिया और उनसे कहा कि तुमसे जो होता है कर लो हम कुछ नहीं देंगे जिससे वह बहुत ज्यादा मन ही मन परेशान रहने लगी क्योंकि मेरी बहन ने तीनों भाइयों को घर और कुछ पैसे व जेबर भी दिये थे जिसकी वजह से उन्होंने कहा भी कि मैं अपने घर में क्या जवाब दूंगी क्योंकि उनका मकान और दुकान और कुछ गहने रुपये करीब 500000 लाख बताए जाते हैं सब कुछ देने से इनकार कर दिया वह इस मानसिक परेशानी को झेल नहीं पाई जिससे उन्होंने फांसी लगा ली जिसकी वजह यह तीनों भाई थे जब तक जीजा जी इनके ऊपर कोई कार्यवाही करें उससे पहले जीजा जी को ही झूठे केस में फंसा कर जेल भेज दिया वही तरिका अब यह लोग मेरे ऊपर अपना रहे हैं इस वजह से में और मेरा परिवार बहुत टेंशन में रहते हैं क्योंकि हमारे पास रहने के लिए कोई भी जगह नहीं है और कमाई का कोई जरिया भी नहीं है उम्र के कारण मैं और मेरी पत्नी अक्सर बीमार रहते हैं और मैं हार्ट पेशेंट भी हूं मेरे दो अटैक पहले से पढ़ चुके हैं अगर मुझे शारिरिक या मानसिक क्षति पहुचती हैं तो उसकी जिम्मेदारी मेरे तीनो छोटे भाइयो व उनके परिवार की होगी

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