एर्बालीसा कोविड-19 आई.जी.जी. टैस्ट किट, बड़े पैमाने पर जाँच करने और लॉकडाउन को कम करने में अहम भूमिका निभायेंगी।
आई.सी.एम.आर. के द्वारा बड़े पैमाने पर एंटीबॉडी की टेस्टिंग के लिए देश को सक्षम बनाने के साथ ही ट्रांसएशिया ने एलिसा टैस्ट किट की उपलब्धता को बढ़ा दिया
आई.सी.एम.आर. द्वारा मान्यता प्राप्त, ट्रांसएशिया की एर्बालीसा कोविड-19 आई.जी.जी. टैस्ट किट, बड़े पैमाने पर जाँच करने और लॉकडाउन को कम करने में अहम भूमिका निभायेंगी।
आई.सी.एम.आर. के नए सुझावों ने एंटीबॉडी के सेरोप्रेवलेंस अध्ययन के तहत बड़े पैमाने पर जाँचें करने के लिए 80,000 से अधिक अधिकृत प्रयोगशालायें शामिल की हैं
ट्रांसएशिया ए.एम.टी.ज़ेड. में अपनी अत्याधुनिक सुविधा में हर महीने 25 लाख टैस्ट्स बनाने के लिए तैयार है, जो राज्यों की जाँच करने की कोशिशों को और तेज़ करने में मदद करेगी
दिल्ली: ट्रांसएशिया बायो-मेडिकल्स लिमिटेड, देश की सबसे बड़ी भारतीय बहु-राष्ट्रीय मेडिकल उपकरण की कंपनी ने 50,000 से अधिक नैदानिक प्रयोगशालाओं के अपने देशभर में फैले नेटवर्क के ज़रिए हाल ही में पेश की गई एलिसा एंटीबॉडी टैस्ट किट को व्यापक तौर पर उपलब्ध कराने की घोषणा की है। एर्बालीसा कोविड-19 आई.जी.जी. के नाम से बनायी जाने वाली, ये एलिसा परीक्षण किट्स 98 प्रतिशत तक सही परिणाम देती हैं और आर.टी.-पी.सी.आर. टैस्ट्स की कीमत की 20 प्रतिशत कीमत पर मिलती हैं।
आई.सी.एम.आर. ने 23 जून को जारी किए गए अपने सुझावों में देश को तीन महीने के लॉकडाउन से निजात दिलाने की लिए आम लोगों में सीरोलॉजिकल टैस्ट्स करने की निजी प्रयोगशालाओं और अस्पतालों को आज्ञा दे दी है। इस दिशानिर्देश के साथ ही पूरे देश में फैली हुई कोविड-19 की जाँच के लिए अधिकृत प्रयोगशालाओं की मौजूदा संख्या को 500 से 80,000 से अधिक प्रयोगशालाओं तक पहुँचा दिया है। जिनमें लक्षण नज़र नहीं आते उन व्यक्तियों पर नज़र रखने और पहचान करने के लिए सरकार द्वारा दिशानिर्देश दिए जाने के कारण, राज्यों को अपनी जाँच करने की क्षमता को बढ़ाने और लक्षण नज़र आनेवाले सभी रोगियों को जाँच उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे कई राज्यों ने घर-घर जाकर किए जानेवाले अपने मेगा सीरोलॉजिकल सर्वेक्षणों के साथ अपनी जाँच करने की प्रक्रिया को तेज़ कर दिया है, और आई.सी.एम.आर. के नए निर्देश के चलते, और भी राज्यों के द्वारा ऐसा ही किए जाने की संभावना है।
सुरेश वज़ीरानी, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, ट्रांसएशिया-एर्बा ग्रुप ने कहा, “जैसे-जैसे देश धीरे-धीरे लॉकडाउन से बाहर निकलने और अपने काम-काज को फिर से पहले की तरह शुरू करने की कोशिश कर रहा है, अगले तीन महीनों में जाँचों को कम से कम पाँच गुना बढ़ाने की ज़रूरत है। इस कमी को पूरा करने के लिए आई.सी.एम.आर. का टैस्ट, ट्रैक एंड ट्रीट का मंत्र भारत पर काफी हद तक लागू होता है। एलिसा टैस्ट निगरानी रखने के लिए और यह जानने के लिए कि इस उतर-चढ़ाव में इस बीमारी की क्या भूमिका है एक बहुत ही अच्छा उपकरण है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अमेरिका और यूरोप में एंटीबॉडी एलिसा टैस्ट्स बड़े पैमाने पर किए जा रहे हैं।”
आई.सी.एम.आर. और एन.आई.वी. की ओर से मान्यता प्राप्त, ट्रांसएशिया की अमेरिका में विकसित की गई एर्बालीसा कोविड-19 आई.जी.जी. एलिसा किट की संवेदनशीलता और विशिष्टता 98% से भी अधिक है और यह आर.टी.-पी.सी.आर. की तुलना में कई गुना अधिक सस्ती और आसानी से उपलब्ध है।
"भारत की ज़्यादातर प्रयोगशालाएं पहले से ही एलिसा ऑटोमेशन से लैस हैं और एलिसा टैस्ट्स करने के लिए तकनीशियनों को बेहतरीन प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जो उन्हें इस तरह के टैस्ट्स करने के लिए 'सबसे अनुकूल वातावरण' बनाता है। जाँच के सर्वश्रेष्ठ स्तर, आर.टी.-पी.सी.आर. की तुलना में एलिसा की कीमत 80 प्रतिशत कम है और इससे कम समय में ज़्यादा मात्रा में जांचें करना संभव हो जाता है। दूसरी तरफ़, मान्यता प्राप्त रैपिड ए.जी. टैस्ट्स में संवेदनशीलता 50 प्रतिशत होती है, जिसके चलते उसपर ज़्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता है और बहुत से लोगों की फिर से जाँच करने की ज़रूरत पड़ती है,” श्री रवि कौशिक, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, ट्रांस एशिया बायो-मेडिकल्स लिमिटेड ने बताया।
"सरकार की बड़े पैमाने पर जाँच करने की मौजूदा जरूरत को पूरा करने के लिए ट्रांसएशिआ पूरी तरह से तैयार है। ट्रांसएशिआ की अमेरिका स्थित सहयोगी कंपनी, कैलबायोटेक के पास हर महीने 25 लाख टैस्ट्स बनाने की क्षमता है। इसके अतिरिक्त, ए.एम.टी.ज़ेड. स्थित हमारी नई कोविड-19 के लिए विशेष निर्माण सुविधा एलिसा एंटीबॉडी किट के उत्पादन को चार गुना तक बढ़ा देगी,” कौशिक ने कहा।
दुनिया के कई देश जिन्हें इस महामारी ने बहुत अधिक प्रभावित किया है पिछले दो महीनों से ही ट्रांसएशिआ की एलिसा एंटीबॉडी टेस्ट किट का इस्तेमाल कर रहे हैं। “एक विश्वस्तरीय आई.वी.डी. कंपनी होने के नाते, ट्रांसएशिआ अमेरिका, यूरोप, लैटिन अमेरिकी और सुदूर-पूर्व देशों में इस महामारी का प्रबंधन करने में अहम भूमिका रही है। इस संक्रमण के व्याप्त होने के स्तर के आधार पर, नीति बनाने वाले लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले समय-समय पर होने वाले व्याप्त सर्वेक्षणों के साथ सरकारें और नीति बनाने वाले लोग इस बीमारी की रोकथाम और इस नियंत्रित करने के लिए योजना बनाकर उसे लागू कर सकते हैं।” श्री वज़ीरानी ने कहा
भारत में पहले पॉज़िटिव मामले के सामने आने के बाद, पिछले तीन महीनों के दौरान आई.सी.एम.आर. एक नपा-तुला दृष्टिकोण अपनाता आ रहा है। इस संस्था ने जाँच करने की क्षमता को बढ़ाने की कोशिश में हाल ही में उन लोगों की श्रेणियों की एक व्यापक सूची जारी की, जिनकी व्याप्त सर्वेक्षण के हिस्से के तौर पर जाँच की जानी चाहिए, जिसमें स्वास्थ्यकर्मी, पहली पंक्ति के कर्मचारी, प्रतिरक्षा की परवाह न करने वाले लोग, कन्टेनमेंट ज़ोन के लोग, सुरक्षा कर्मचारियों, क़ैदियों जैसे अधिक जोखिम वाले या आसानी से प्रभावित होने वाले लोग शामिल हैं ताकि यह पता हल सके कि कौन से लोग पहले संक्रमित हुए थे और अब ठीक हो चुके हैं। डॉक्टरों का मानना है कि
यह खास तौर पर उस 70 प्रतिशत जनसँख्या के लिए सही है जो भारत के 5,650 तालुकाओं में रहती है। हाल ही में शुरू की गई अत्याधुनिक मोबाइल प्रयोगशाला, आईलैब के ज़रिए,
“पूरे लॉकडाउन के दौरान, भारत और दुनियाभर के स्वास्थ्य देखभाल ग्राहकों की माँगों को पूरा करने के लिए हमारी निर्माण सुविधायें काम करती रही हैं। हमारी सेल्स और सर्विस की पहली पंक्ति के योद्धाओं ने निरंतर सेवायें सुनिश्चित करने के लिए लगभग 30,000 डॉक्टरों और लैब तकनीशियनों को सेवायें प्रदान की हैं। इन सभी प्रयासों के साथ, ट्रांसएशिआ एक सेहतमंद और आत्मानिभर भारत के लिए प्रतिबद्ध बनी हुई है,” श्री वजीरानी ने कहा।

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